CG में अब कॉलेजों का PPP मॉडल: छत्तीसगढ़ सरकार का नवाचार, पिछड़े और दुर्गम जिलों में कॉलेज खोलने पर सरकार देगी 2.50 करोड़ तक अनुदान, आधा ब्याज भी भरेगी.....
Chhattisgarh Government Innovation, Colleges will be run on PPP model in backward and extremely backward areas, Decision to run private colleges on PPP model was taken in the recently held Cabinet Meeting, with the objective of provided higher education facilities in remote areas रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे नवाचारों के तहत अब एक और नवाचार किया जा रहा है, जिससे अति पिछड़े और सुदूर व दुर्गम क्षेत्रों तक भी उच्च शिक्षा की रोशनी पहुंच सकेगी। इस नवाचार के तहत अब पी.पी.पी. मॉडल में कॉलेजों का संचालन किया जाएगा। प्रस्तावित पी.पी.पी. मॉडल में यह व्यवस्था प्रारंभ से ही निजी महाविद्यालयों को दी जाएगी। इस संबंध में बीते 17 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया है।




Chhattisgarh Government Innovation, Colleges will be run on PPP model in backward and extremely backward areas, Decision to run private colleges on PPP model was taken in the recently held Cabinet Meeting, with the objective of provided higher education facilities in remote areas
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे नवाचारों के तहत अब एक और नवाचार किया जा रहा है, जिससे अति पिछड़े और सुदूर व दुर्गम क्षेत्रों तक भी उच्च शिक्षा की रोशनी पहुंच सकेगी। इस नवाचार के तहत अब पी.पी.पी. मॉडल में कॉलेजों का संचालन किया जाएगा। प्रस्तावित पी.पी.पी. मॉडल में यह व्यवस्था प्रारंभ से ही निजी महाविद्यालयों को दी जाएगी। इस संबंध में बीते 17 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में पी.पी.पी मॉडल पर प्रारंभ किए जाने वाले महाविद्यालय प्रदेश के लिए एक नवाचार है। पूर्व में इस प्रकार की कोई योजना लागू नहीं की गई है और न ही कोई निजी महाविद्यालय इस योजना में दी गई व्यवस्था के तहत संचालित हो रहे हैं। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश अशासकीय महाविद्यालय और संस्था (स्थापना एवं विनियमन) अधिनियम के तहत प्रदेश में कुल 12 निजी महाविद्यालयों को शत्-प्रतिशत् नियमित अनुदान के तहत संचालित किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पश्चात चार निजी महाविद्यालयों को छत्तीसगढ़ अशासकीय महाविद्यालय और संस्था (स्थापना एवं विनियमन) अधिनियम, 2006 के तहत कैबिनेट की मंजूरी के बाद 50 प्रतिशत प्रदान किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इस अधिनियम के तहत तीन वर्ष में एक बार तदर्थ अनुदान अधिकतम पांच लाख रुपये तक भवन विस्तार, फर्नीचर, उपकरण क्रय के लिए दिया जा सकता है। आवेदन के आधार पर अनुदान की स्वीकृति दी जाती है।
अब तक छत्तीसगढ़ अशासकीय महाविद्यालय और संस्था (स्थापना एवं विनियमन) अधिनियम, 2006 के आधार पर उपर्युक्त अनुदान केवल उन्ही निजी महाविद्यालयों को प्रदान की जाती है, जिनका संचालन न्यूनतम 10 वर्ष पूर्ण हो चुका है, लेकिन प्रस्तावित पी. पी.पी. मॉडल में यह व्यवस्था प्रारंभ से ही निजी महाविद्यालयों को दी जाएगी। इससे अति पिछड़े एवं सुदूर क्षेत्रों में प्रतिकूल स्थिति से उभरने के लिये तथा उच्च शिक्षा के सर्वांगीण विकास में पी.पी.पी. मॉडल का क्रियान्वयन करने के लिए इस मॉडल को प्रस्तावित किया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार का विजन है कि दुर्गम क्षेत्रों में भी छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त हो सके।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 17 अक्टूबर को हुई कैबिनेट की बैठक में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य के सकल प्रवेश अनुपात को बढ़ाने और राज्य के पिछड़े और अति पिछड़े क्षेत्र के युवाओं को गुणवत्तामूलक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने पी.पी.पी. मॉडल के तहत राज्य में उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना करने के प्रस्तावित प्रारूप का अनुमोदन किया गया। इसमें निर्धारित प्रारूप के तहत निजी महाविद्यालयों को दी जाने वाली रियायतों में पी.पी.पी मॉडल के तहत खोले जाने वाले महाविद्यालयों को दी जाने वाली निश्चित पूंजी निवेश पर अधिकतम सब्सिडी 2.50 करोड़ रुपये एवं 1.75 करोड़ रुपये सब्सिडी क्रमशः अति पिछड़ा क्षेत्र एवं पिछड़ा क्षेत्र में स्थापित महाविद्यालयों को दिया जाएगा।
इसी तरह कम-से-कम 10 एकड़ भूमि 30 वर्ष की लीज़ पर 50 प्रतिशत रियायती दर से शासन द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। भूमि का उपयोग अन्य प्रयोजनों के लिए नहीं किया जाएगा। लीज की अवधि की समाप्ति होने पर दोनों पक्षों की सहमति से लीज की अवधि को बढ़ाया जा सकता है। अधोसंरचना निर्माण के लिए ली गई अधिकतम 500 करोड़ रुपये की ऋण पर ब्याज की राशि का 50 प्रतिशत भुगतान शासन द्वारा किया जाएगा।
समस्त पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत् विद्यार्थियों को राज्य शासन द्वारा देय छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। महाविद्यालय को समस्त शैक्षणिक स्टाफ एवं कर्मचारियों की वेतन व्यवस्था स्वयं के द्वारा करना होगा। राज्य शासन द्वारा इस प्रायोजन के लिए कुल स्थापना पर व्यय का अधिकतम राशि 2 करोड़ रुपये पर 20 प्रतिशत एवं 30 प्रतिशत व्यय भार क्रमशः पिछड़ा क्षेत्र एवं अति पिछड़ा क्षेत्र में स्थापित महाविद्यालय को स्थापना अनुदान के रूप में दिया जाएगा।
वहीं NAAC द्वारा A++, A+ या A ग्रेड प्राप्त करने वाले महाविद्यालयों को 1 लाख 51 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि एवं प्रमाणपत्र राज्य शासन द्वारा प्रदान किया जाएगा। पी.पी.पी. मॉडल के तहत खोले जाने वाले उच्च शिक्षण संस्थाओं को NAAC/NIRF गुणवत्ता प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए देय शुल्क की 50 प्रतिशत या अधिकतम 3 लाख रुपये (जो भी कम हो) राशि का वहन राज्य शासन द्वारा किया जाएगा।
प्रस्तावित योजना उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राज्य के सकल प्रवेश अनुपात (GER) की वृध्दि में सहायक होगा साथ ही राज्य के पिछड़े क्षेत्र एवं अति पिछड़े क्षेत्र के युवाओं को गुणवत्ता मूलक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध होगी। उपर्युक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इस योजना को प्रदेश में लागू किये जाने के लिए प्रस्तुत किया गया है।