CG - सामाजिक बहिष्कार कानूनन अपराध है - डॉ. किरणमयी नायक

CG - सामाजिक बहिष्कार कानूनन अपराध है - डॉ. किरणमयी नायक
CG - सामाजिक बहिष्कार कानूनन अपराध है - डॉ. किरणमयी नायक

सामाजिक बहिष्कार कानूनन अपराध है - डॉ. किरणमयी नायक

रायपुर : आयोग के निर्देश पर सामाजिक बहिष्कार करने वालों ने गांव के सामने सामाजिक बहिष्कार समाप्त किया। सामाजिक बहिष्कार कानूनन अपराध है. विवाह के लिए या किसी भी कार्य के लिए जो सरकार के संवैधानिक नियमो का पालन होता है जिसके वजह से कोई भी सामाजिक संस्था दंड या प्रतिबंध नहीं लगा सकता और यदि लगाया जाता है तो नागरिक अधिनियम संरक्षण (धारा 7) के तहत वह अपराध होता है। इस विषय पर महिला आयोग ने लगातार कई जगह कार्यवाही की है, और इस कार्यवाही को उन्ही के गांव में आयोग द्वारा गठित टीम भेजकर कराया जाता है। ऐसी दशा में दिनांक 06/07/2024 को संरक्षण अधिकारी प्रीतिबाला शर्मा के साथ समाज सेविका तथा पुलिस बल के साथ ग्राम चिरपोटी में समस्त अनावेदकगण व समाज के लोगो को एकत्र कर सुनवाई किया गया।

एक प्रकरण में आवेदिका द्वारा प्रेम विवाह करने के कारण उसे साहू समाज से बहिष्कार कर दिया गया एवं अर्थदण्ड के रूप में राशि 51500/- एवं 7500/- का भुगतान किये जाने का निर्देश दिया गया था। जिसकी शिकायत आवेदिका द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में किया गया।

ग्राम चिरपोटी, थाना- अंडा में छ.ग. राज्य महिला आयोग की सुनवाई दिनांक 04/07/2024 को आवेदिका के प्रकरण में आवेदिका अपने समाज के लड़के से आर्य समाज में विवाह किया था। ग्राम के साहू समाज अध्यक्ष व सदस्यगण के द्वारा आवेदिका व उसके पति का सामाजिक बहिष्कार कर दिया था। समाज के अध्यक्ष व सदस्यों के द्वारा आवेदिका के पति के उपर 7 हजार रूपये का दण्ड लगाया था एवं आवेदिका क्र. 1 व उसके पति के उपर 51500/- रू. का दण्ड लगा था।

आयोग की सुनवाई के दौरान सुनवाई किया गयाा कि आवेदिका व उनके पति पर सामाजिक प्रतिबंध लगाया था जो कि नागरिक अधिनियम संरक्षण अधिकार 1955 की धारा 7 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। उस पर सभी अनावेदकगण ने अपनी गलती सुधारने की जिम्मेदारी लिया है।