जन जागृति मनेंद्रगढ़ के सचिव संतोष कुमार जैन ने कहां की पूरे विश्व में 5 जून को हम लोग विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं।एक वृक्ष की वास्तविक की कीमत जानना हो तो कल्पना कीजिए




जन जागृति मनेंद्रगढ़ के सचिव संतोष कुमार जैन ने कहां की पूरे विश्व में 5 जून को हम लोग विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं।एक वृक्ष की वास्तविक की कीमत जानना हो तो कल्पना कीजिए :-
मनेंद्रगढ़।
१. एक वृक्ष अपने पूरे जीवन में कितने कार्बन डाई साइड सोख्ता है और कितनी ऑक्सीजन छोड़ता है इसका मूल्य क्या होगा?
२. एक वृक्ष कितना पानी भूगर्भ में सोकने के लिए मदद करता है। जिस वृक्ष के जितने बड़े पत्ते होंगे वह वृक्ष उतना ही अधिक बारिश का पानी भूगर्भ में जाने के लिए मदद करेगा।
३. एक वृक्ष मिट्टी के कटाव को कितना रोकता है बारिश में जब बहुत तेज बहाव होता है तो मिट्टी कट कर नदियों के माध्यम से वह कर चली जाती है इस प्रकार को रोकने में वृक्षों की जड़ें लाभकारी होती है इसकी गणना आप रुपए पैसे में कैसे करेंगे?
४. वृक्ष है तो फल तो देगा ही फूल तो देगा ही साथ ही साथ वह इमारती लकड़ी भी देता ही है.
५. भारतीय संस्कृति में वृक्षों की पूजा किसी न किसी रूप है आदि अनंत काल से होती आई है. पूरा आयुर्वेद ही वृक्षों पर आधारित है ना जाने कौन-कौन सी जड़ी बूटियां और हनुमान जी जब संजीवनी लाए इससे बड़ा और क्या उदाहरण हो सकता है कि वृक्षों के पास ना जाने कितनी औषधियां हैं कितने गुण हैं हमें तो लगता है पूरी मानव जाति को अभी भी इन वृक्षों के के पूरे पूरे उपयोगी नहीं मालूम है. निरंतर लगातार प्रयास हो रहे हैं अनुसंधान हो रहे हैं हम ऐसे अनेक फल और फूल को आज भी देखते तो हैं परंतु उसका उपयोग नहीं जानते हैं इसमें निरंतर शोध कार्य की आवश्यकता है. इसीलिए मानव सभ्यता में वृक्षों की बड़ी भूमिका है.
६. सभ्यता के विकास में जैसे जैसे हमने खेती करना सीखें हमने आपके विस्तार के कारण भोजन को पकाना सिखाओ लगातार हम मांसाहार से शाकाहार की ओर अग्रसर हो रहे हैं. खेती के लिए, तथाकथित विकास के लिए खनिज संपदा प्राप्त करने के लिए निरंतर वृक्षों की कटाई हो रही है जंगल के जंगल मनुष्य ने अपने उपयोग के लिए काट लिए हैं और लगातार कांटे भी जा रहे हैं. सम्मानीय प्रधानमंत्री मोदी जी के बाद देश का विकास बड़ी तेजी से हो रहा है और उसी तेजी से वृक्ष भी नष्ट हो रहे हैं चाहे वह रोड बनाने में हो या चाहे वह हनी संप्रदाय प्राप्त करने में हैं निश्चित रूप से जिस उदारता पूर्वक औद्योगिकरण भारत का हो रहा है नए-नए नित्य नवीन उद्योग लग रहे हैं वन एवं पर्यावरण मंत्रालय जितनी उदारता के साथ अपनी अनुमति प्रदान कर रहा है ऐसा लगता है इस मंत्रालय को एक न एक दिन अपने कार्य के लिए नोबेल प्राइज भी प्राप्त हो ही जाएगा. इसीलिए जब बहुत तेजी से वृक्षों को काटा जा रहा है हमारी और आपकी जिम्मेवारी कितनी हो रही है इसका हिसाब इस साल गर्मी में करा ही दिया है।
यदि गर्मी बढ़ेगी तो साथ साथ ग्लेशियर फिर लेंगे जल स्तर बढ़ेगा समुद्रों का आकार बढ़ेगा और वैसे भी पानी तीन चौथाई से है और जितना अधिक इसका स्तर बढ़ता रहेगा उतने ही हम सुकडते रहेंगे।
ठीक है जिस प्रकार एक गिलहरी प्रयास करती है की अग्नि शांत हो जाए वह अपने सामर्थ्य के अनुसार प्रयास करती है उसी प्रकार हम लोगों को छोटे-छोटे गिलहरी प्रयास ही सही अपनी अपनी क्षमता के अनुसार तन से मन से धन से जो भी कर सकें प्रयास करते रहना चाहिए इसी क्रम में मनेंद्रगढ़ में जो लोग लगातार नीव के पत्थर की तरह बिना किसी प्रचार-प्रसार के पर्यावरण के प्रति अपना जो भी योगदान दे रहे हैं, हम लोगों को प्रेरित कर रहे हैं को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि हम लोग अपने अपने उत्तरदायित्व का निर्माण करें हम लोगों को भी छोटे-छोटे प्रयास कर सकते हैं व्यक्तिगत रूप से करते रहे या फिर जो लोग इस प्रकार के कार्यों में संलग्न हैं उनका उत्साहवर्धन अपनी अपनी क्षमताओं के अनुसार अपनी अपनी सीमाओं में रहकर निरंतर करते रहें।
हम लोगों को पर्यावरण के प्रति सदैव सक्रिय रहना है। जो थोड़े बहुत खूब इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रहे हैं उनको अपनी ओर से शुभकामनाएं सहयोग एवं सद्भावना बनाए रखना है और हम अपने अपने सामर्थ के अनुसार इस प्रकार की संस्थाओं को इस प्रकार के लोगों को प्रोत्साहित करते रहें कम से कम हम प्रतिदिन इन की शान में कुछ ना कुछ कसीदे तो पढ़ ही सकते हैं जिससे प्रेरित होकर अन्य लोग भी इसी प्रकार की रचनात्मक और सृजनात्मक गतिविधियों में संलग्न रह सके को साहित्य एवं इस प्रकार के लोग समाज में सम्मान प्राप्त करते रहें।