सिद्धार्थ शुक्ला की हार्ट अटैक से मौत : डॉक्टर ने बताई डीटेल, बोले- अस्पताल जब लाए गए तब उनके….जानिये हार्ट अटैक 10 लक्षण जो हैं खतरनाक, तुरंत नहीं आता हार्ट अटैक, महीनों पहले दिखते हैं ये लक्षण…पढ़िये…………




मुंबई 2 अगस्त 2021. बिग बॉस 13 के विनर और टीवी के मशहूर अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला(Siddharth Shukla) की मौत से इंडस्ट्री सदमे में है. सिद्धार्थ अपनी फिटनेस के लिए मशहूर थे और वे एक हेल्दी लाइफस्टायल जीते रहे हैं. इसके बावजूद महज 40 साल की उम्र में उनका हार्ट अटैक से निधन हो गया है.
भारत में पिछले कुछ सालों से यंग लोगों में हार्ट अटैक के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है. महज 40 की उम्र में एक्टर को मैसिव हार्ट अटैक और इसके कारण वो दुनिया को अलविदा कह गए। वहीं, बताया जा रहा है कि अचानक हालत बिगड़ने के बाद एक्टर को अस्पताल ले जाया गया था। वहीं, इस अस्पताल के डॉक्टर ने हाल ही में एक्टर के निधन से जुड़ी डीटेल्स बताई हैं।
मुंबई के जूहु स्थित आरएन कूपर अस्पताल के फॉरेंसिंक डिपार्टमेंट में सीनियर डॉक्टर ने बताया कि ‘सिद्धार्थ शुक्ला को करीब 11 बजे इलाज के लिएअस्पताल लाया गया था। जहां पर 40 साल के एक्टर को पहुंचते ही मृत घोषित कर दिया गया था। प्रारंभिक रिपोर्ट की मानें तो उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई। लेकिन हम पोर्स्ट मार्टम से पहले मौत का कारण कंफर्म नहीं कर सकेंगे।
एक्टर के निधन के बाद मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उनकी खास दोस्त यसहनाज गिल ने जैसे ही सिद्धार्थ के बारे में ये चौंकाने वाली खबर सुनी तो वो शूट छोड़कर चली गईं। वहीं, अस्पताल के बाहर से कुछ तस्वीरें भी सामने आई हैं। सिद्धार्थ के परिवार में उनकी मां और दो बहने हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि हार्ट अटैक के लक्षणों की पहचान समय से हो जाती है तो हेल्थ रिस्क कम हो जाता है। उनके मुताबिक हार्ट अटैक के 10 प्रमुख लक्षण दिखते हैं, जानिये
डाइट में इन्हें शामिल करने से बचें: स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि दिल को हेल्दी रखने के लिए कुछ फूड्स से परहेज करना बेहद जरूरी है। चिप्स जैसे पैकेटबंद फूड्स दिल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आलू के चिप्स में ट्रांस फैट, सोडियम, कार्ब्स और सैचुरेटेड फैट जैसे कई तत्व हैं जो दिल के लिए हानिकारक साबित होते हैं। इसके अलावा, तले-भूने खाद्य पदार्थ, जंक फूड, ऑयली फूड खाने से भी बचना चाहिए। वहीं, सोडा, शराब और एनर्जी ड्रिंक्स से परहेज करें।
इन फूड्स को खाने से होगा लाभ: दिल को दुरुस्त रखने के लिए अर्जुन के पेड़ की छाल और दालचीनी से बने काढ़े का रोजाना सेवन करें। माना जाता है कि ये खून को पतला करता है जिससे हार्ट ब्लॉकेज का खतरा कम होता है।
इसके अलावा, लौकी का जूस, तरबूज के बीज, दालचीनी, बेरीज खाने से भी फायदा होगा। बता दें कि इस फल में विटामिन ए, सी, पोटेशियम, मैग्नीशियम और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं जो दिल के लिए फायदेमंद होते हैं।
एंजायना पेन
चलने पर काम करते समय छाती में हैवीनेस या भारीपन होता है। जो काम बंद करने के बाद ठीक हो जाता है। एंजायना पेन कहलाता है। यह दिल की बीमारी का एक सामान्य लक्षण होता है और ज्यादतर केसेज में देखने को मिलता है।
सांस फूलना
सांस फूलने की दिक्कत होने लगती है। जैसे आपको कुछ अचानक लगता है कि रोज तो आप दो फ्लोर या लंबी दूरी चलकर ऑफिस जाते थे लेकिन अभी तो एक मंजिल उतरते या चढ़ते ही आपकी सांस फूलने लगती हैं। अगर ऐसा लंबा समय तक हो रहा है और आपकी हेल्थ में किसी और तरह की दिक्कत नहीं है तो आपको इस समस्या को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
मिमिक सिंप्टम्स
कई बार लगता है खाने के बाद गले में जलन हो रही है। ऐसा दिन में जब भी आप कुछ खाते हैं उसके बाद भी महसूस हो सकता है। जबकि खाना खाने के बाद अक्सर ऐसा होता है। यह भी अचानक हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है।-जरूरी नहीं है कि ऐसा सभी के साथ हो या फिर यह सिर्फ हार्ट अटैक का लक्षण ही हो इसकी कोई और वजह भी हो सकती है लेकिन यह हार्ट अटैक के प्रीसिंप्टम्स में भी शामिल हो सकता है।
पोस्टप्रैंडियल एंजाइना
पोस्ट प्रैंडियल एंजाइना सीने में उठनेवाले उस तेज दर्द को कहते हैं, जो खाना खाने के बाद उठता है। यानी खाना खाने के बाद अगर आप तुरंत चलने लगते हैं तो आपको दिक्कत होने लगती है। इस दौरान सीने में जलन के साथ तेज दर्द होता है।-इस स्थिति में जब व्यक्ति रुकता है और आराम करता है तो यह दर्द ठीक हो जाता है। अगर यह स्थिति किसी के साथ लंबे समय से बनी हुई है तो यह भी हार्ट की बीमारी का लक्षण हो सकती है।
चक्कर आना और घबराहट होना
हार्ट की तकलीफ से जुड़े कुछ लक्षण ऐसे होते हैं, जो कई अन्य बीमारियों में भी देखने को मिलते हैं। इस कारण इन लक्षणों के आधार पर बिना जांच किए यह समझ पाना मुश्किल होता है कि यह हार्ट अटैक का लक्षण है। क्योंकि ये लक्षण कई अन्य बीमारियों में भी देखने को मिलते हैं।- इनमें चक्कर और उल्टी आना या चक्कर के साथ उल्टी जैसा (नोजिया) महसूस होना भी हार्ट की बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। हालांकि ये लक्षण पेट की बीमारी, ब्रेन से जुड़ी दिक्कत या शुगर कम होने पर भी महसूस हो सकते हैं। हार्ट वाले केस में कई बार सिर्फ चक्कर भी आ सकता है और नोजिया फील नहीं होता।
इस दर्द पर जरूर दें ध्यान
ऊपर बताए गए लक्षणों के अलावा कुछ लोगों को लेफ्ट हेंड यानी बाएं हाथ में दर्द रहने की समस्या होने लगती है। यह दर्द जॉ लाइन यानी जबड़े तक जाता है। जबकि कुछ लोगों में लेफ्ट और राइट दोनों हाथों में दर्द हो सकता है, साथ ही यह दर्द जॉ लाइन तक जाता है।-आमतौर पर यह दर्द चलते वक्त या कोई काम करते वक्त महसूस होता है। लेकिन रुकने और आराम करने पर ठीक हो जाता है। ऐसे में अक्सर इसे थकान या कमजोरी के कारण होनेवाला दर्द मानकर अनदेखा कर दिया जाता है। क्योंकि यह उस स्थिति में भी हो सकता है। जबकि हार्ट अटैक का लक्षण भी हो सकता है।
थकान होना
जब भी हम थक जाते हैं तो इसे कमजोरी की निशानी मान लेते हैं। कोई भी काम करते हुए जल्दी-जल्दी थकान होना…यानी कमजोरी आना। लेकिन कई बार यह कमजोरी हार्ट की बीमारी का लक्षण भी हो सकती है।-हो सकता है कि हार्ट की किसी नली में सूजन या इंफेक्शन की दिक्कत हो रही हो। साथ ही यह थकान दिल के कमजोर हो जाने का लक्षण भी हो सकती है।
खांसी और हाथ पैर में सूजन होना
आमतौर पर खांसी को मौसम बदलने के दौरान होनेवाली समस्या माना जाता है। इसके अतिरिक्त लंबे समय तक रहनेवाली खांसी टीबी का लक्षण हो सकती है। लेकिन खांसी हार्ट की बीमारी का संकेत भी होती है। यह समस्या हर व्यक्ति में हार्ट की बीमारी के लक्षण के रूप में नजर आए, यह जरूरी नहीं है।-अगर किसी को लगातार खांसी हो रही है और हाथ-पैर में सूजन आ जाने की समस्या बनी हुई है तो इन लक्षणों को अनेदखा नहीं करना चाहिए। ये हार्ट की बीमारी के साथ ही किसी अन्य गंभीर रोग का लक्षण भी हो सकते हैं।
तेज पसीना और धड़कनों की रफ्तार
बिना किसी खास कारण अचानक से तेज पसीना आना। यानी जब आपने कोई शारीरिक श्रम ना किया हो या आप तेज गर्मी से ना आए हों और अचानक से आप पसीना-पसीना हो जाते हैं तो यह भी दिल की कमजोरी का एक लक्षण हो सकता है।-कई बार धड़कनें बहुत तेज हो जाना या बहुत धीमी हो जाना भी दिल की कमजोरी की तरफ इशारा करती है। इस दौरान कई लोगों को ऐसा अनुभव होता है, जैसे हार्ट सिकुड़ रहा है। साथ ही तेज घबराहट भी हो सकती है। अगर यह स्थिति बार-बार बन रही हो तो हल्के में ना लें।
महिलाओं और पुरुषों में अलग लक्षण
महिलाओं और पुरुषों में हार्ट अटैक के लक्षणों में कुछ अंतर हो सकता है। ऊपर जो लक्षण बताए गए हैं, वे तो सभी में देखने को मिलते हैं लेकिन महिलाओं में कुछ अलग सिंप्टम्स भी हार्ट की समस्या की तरफ इशारा करते हैं।-जैसे, मन खराब होना या उल्टी जैसा महसूस होना (नोजिया), गले में और सीने पर तेज जलन महसूस होना साथ में दर्द होना (हार्ट बर्न), अपच की दिक्कत होना आदि। अगर आपके साथ ये समस्याएं अक्सर होने लगी हैं तो आपको अपने डॉक्टर से जरूर बात करनी चाहिए।
सामान्य मरीज और डायबीटीज के पेशंट्स
जिस तरह महिलाओं और पुरुषों में हार्ट की बीमारी के कुछ लक्षण अलग होते हैं, ठीक वैसे ही सामान्य मरीजों और डायबीटीज के मरीजों में भी हार्ट कमजोर होने या आर्ट अटैक के लक्षण अलग-अलग होते हैं। इनमें महिलाएं और पुरुष दोनों ही शामिल हैं।-आमतौर पर डायबीटिक लोगों में हार्ट की बीमारी के लक्षणों में सीने का तेज दर्द नहीं होता है या दर्द बहुत हल्का होता है। इसलिए इसे सायलंट एमआई कहा जाता है। डायबीटीज के रोगी को हल्के दर्द में भी सीवियर अटैक हो सकता है और सामान्य रोगी को तेज दर्द में भी माइनर अटैक हो सकता है।
-यही वजह है कि डायबीटीज के किसी मरीज में अगर हल्का-सा भी चेस्ट पेन हुआ है तब भी उसे सामान्य रोगी की तुलना में हार्ट की बीमारी का अधिक खतरा होता है। इन लोगों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
ट्रेडिशनल रिस्क फैक्टर
स्मोकिंग, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा या फैमिली हिस्ट्री। ये कुछ ऐसे कारक हैं, जो दिल के दौरे के ज्यादातर मरीजों में देखने को मिलते हैं। इसलिए जरूरी है कि अपनी लाइफस्टाइल को सही रखा जाए।
– अगर फैमिली हिस्ट्री की बात करें तो सबसे पहले फर्स्ट डिग्री रिलेटिव्स के बारे में पता किया जाता है। फर्स्ट डिग्री रिलेटिव्स यानी आपके मम्मी-पापा या भाई-बहन। अगर इनमें से किसी को कम उम्र में हार्ट अटैक हुआ है या हार्ट की अन्य बीमारियां हुई हों तो आपको खास ध्यान देना चाहिए।
-क्योंकि जिन लोगों की फैमिली हिस्ट्री में हार्ट अटैक या हार्ट फेल्यॉर के केस होते हैं, उनके इस बीमारी की चपेट में आने की अधिक आशंका होती है। ऐसे में आपको अहतियात के तौर पर अपना रुटीन चेकअप कराते रहना चाहिए।
-खास बात यह है कि जिन लोगों की फैमिली हिस्ट्री में हार्ट पेशंट होते हैं उन्हें तो हार्ट की बीमारी का खतरा होता ही है, साथ ही इनमें भी खासतौर पर ऐसे लोग, जिनके फैमिली मेंबर्स को 50 साल की उम्र से पहले अटैक हुआ हो, उन्हें अपना अधिक खयाल रखने की जरूरत होती है।