Cricket world cup 2023 भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच फाइनल मैच आज ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीत कर चुनी गेंदबाजी जाने पीच से लेकर वर्ल्ड कप से जुड़ी सारी बातें पढ़े पूरी खबर

Cricket world cup 2023 भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच फाइनल मैच आज ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीत कर चुनी गेंदबाजी जाने पीच से लेकर वर्ल्ड कप से जुड़ी सारी बातें पढ़े पूरी खबर
Cricket world cup 2023 भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच फाइनल मैच आज ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीत कर चुनी गेंदबाजी जाने पीच से लेकर वर्ल्ड कप से जुड़ी सारी बातें पढ़े पूरी खबर

गेंद के स्विंग होने से लेकर मौसम की भूमिका तक का विश्लेषण होता है. और ये सब उस 22 गज कि पिच पर भी खासा दखल रखते हैं. रविवार को भारत के गुजरात के अहमदाबाद में होने वाले वनडेविश्व कप क्रिकेट के फाइनल मैच में भी विज्ञान की कितनी भूमिका होगी. क्या एक चौंकाने वाला कौतूहल और रोमांच से भरपूर अनिश्चितताओं वाला एक फाइनल साबित होगा. आइए इसके विज्ञान वाले पहलू को समझते हैं.
टॉस में भी पिच हर मैच में टॉस की भूमिका बहुत अहम होती है और उसे जीतने के वाली टीम के पास मौका होता है कि वह पिच के बर्ताव के अनुसार पहले बैटिंग करे या फिर गेंदबाजी कर लक्ष्य का पीछा करना पसंद करे. अहमदाबाद में भी भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच फाइनल में टॉस बॉस हो सकता है यानि पिच का बर्ताव मायने रखेगा. पिच तेज होगी या धीमी, गेंदबाजों के अनुकूल होगी या बल्लेबाजी के? शाम को पिच पर ओस का कितना असर होगा? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब काफी कुछ तय भारत को पहला विश्व कप दिलाने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव ने एक बार अच्छी पिच की परिभाषा देते हुए कहा था कि पिच ऐसी होनी चाहिए जो 60 फीसदी बल्लेबाजों के लिए हो और 40 फीसदी गेंदबाजों के लिए. फिर भी एक अच्छी पिच ऐसी मानी जाती है जिसमें 50 से 60 फिसदी क्ले या मिट्टी, 10 फीसदी से कम मोटी रेत, कैल्शियम कार्बोनेट और सोडियम 5 फिसदी से कम और जैविक पदार्थ 5 फीसदी से कम होना 
मिट्टी गेंद की गति और उछाल को प्रभावित करती है, ज्यादा मिट्टी तेज गेंदबाजों के लिए अच्छी होती है, लेकिन इससे पिच पर दरारें आ जाती हैं. वहीं सिल्ट या तलछठ की अधिक मात्रा गेंद को टर्न करने में मददगार होती है, पर ज्यादा सिल्ट से पिच जल्दी खराब होती है और उससे बाद में उछाल में अनिश्चितता आ जाती है.पिच की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक श्रिंकेज या संकुचन या सिकुड़न, स्वेलिंग या मिट्टी का फूलना, और उसकी सघनता यनि कॉम्पैक्शन होते है. सिकुड़न से तय होता है कि पिच अपना सूखापन कायम रख पाएगी या उसमें दरार कितनी जल्दी आ सकती है. बारिश होने पर पिच की मिट्टी फूल सकती है, जिससे उसमें हवा घुस जाती है और पेस और उछाल कम हो सकता है. वहीं मिटी के कण कितने बंध कर रह सकते हैं यह सघनता से तय होता है. अधिक सघनता पिच को तेज और उछाल वाली बनाती है.

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तीन तरह की पिच
अमूमन पिच या तो हरी होती है, धूल वाली होती है या फिर डेड होती है. हरी पिच पर हलकी सी घास होती है. इससे पिच पर गेंद की पकड़ नहीं बनती है और गेंद में तेजी और उछाल दिखता है. धूल वाली पिच में रेत अधिक होती है जिससे स्पिनर्स को फायदा मिलता है. अगर इनका अच्छा रखरखाव ना हो तो ऐसी पिचों में उछाल नहीं होता है. भारत में ऐसी पिच अधिक होती हैं. वहीं डेड या मृत पिच में गेंदबाजों के लिए कुछ नहीं होता है और यहां हाइस्कोरिंग गेम देखने को मिलते हैं.

 
अहमदाबाद के मैच में पिच का बहुत अलग बर्ताव देखने को नहीं मिलेगा. (तस्वीर: AP)

तो कैसी है अहमदाबाद पिच
अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम की पिच को लेकर भी काफी कौतूहल है. यह पिच भी वही काली मिट्टी वाली पिच है जो लीग मैचों में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच में इस्तेमाल की गई थी. इस तरह की पिच पर स्पिनर्स को मदद मिलती है. अभी तक इस टूर्नामेंट में यहां कि पिचों पर ऐसा ही देखने को मिला है.

 

पिच कैसा बर्ताव करेगी काफी कुछ इस पर भी निर्भर करता है कि किस तरह की पिच तैयार की गई है. जैसे भारत के मैदानों में धूल वाली या मृत दोनों तरह की पिच मिल सकती है. वहीं एक पहलू है कि कई बार बारिश पिच की नमी को प्रभावित कर देती है जिससे उसके बर्ताव में बदलाव देखने को मिलता है. लेकिन अनुमान यही है कि रविवार को अहमदाबाद में बारिश नहीं होगी हां शाम को कुछ, बहुत अधिक नहीं, ओस मैदान में नमी जरूर ला सकती है.