CG- हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: ससुर सरकारी सेवा में तो बहू को अनुंकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता... हाईकोर्ट ने खारिज किया सरकार का फैसला.... दिवंगत शिक्षक की पत्नी ने दायर की थी याचिका.....
Chhattisgarh High Court big decision Daughter-in-law not denied compassionate appointment




Chhattisgarh High Court big decision: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति को लेकर महत्वपूर्ण आदेश दिया है। साथ ही यह टिप्पणी भी की है कि ससुर को परिवार का सदस्य नहीं माना जा सकता। ऐसे में ससुर के शासकीय सेवा में होने को आधार मानकर उसे अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। इस आदेश के साथ ही जस्टिस पी सैम कोशी की सिंगल बेंच ने शासन के उस आदेश को भी निरस्त कर दिया है, जिसमें अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन पत्र को खारिज कर दिया गया था।(Daughter in law not denied compassionate appointment)
बेमेतरा जिले की रहने वाली राजकुमारी सिवारे ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया कि उनके पति डोगेंद्र कुमार सिवारे सहायक शिक्षक (एलबी) के पद पर कार्यरत थे। सेवा में रहते हुए उनकी 18 नवंबर 2021 को मृत्यु हो गई। पति की मौत के बाद उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति के लिए विभाग में आवेदन पत्र प्रस्तुत किया। उनके इस आवेदन पत्र को यह कह कर खारिज कर दिया गया कि दिवंगत शिक्षक के पिता शासकीय सेवा में है। शासन के नियम के अनुसार परिवार के किसी सदस्य शासकीय सेवा में है, तो उसे अनुकंपा नियुक्ति के पात्र नहीं माना जा सकता।(Daughter in law not denied compassionate appointment)
याचिकाकर्ता ने अपने अनुकंपा नियुक्ति के आवेदनपत्र को निरस्त करने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में तर्क दिया गया है कि कोई भी परिवार में माता-पिता और बेटा-बेटी शामिल रहता है। यह सही है कि दिवंगत शिक्षक के पिता शासकीय सेवा में है। उनके शासकीय सेवा को आधार पर मान दिवंगत शिक्षक की पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। क्योंकि, याचिकाकर्ता उनकी पत्नी है। उस पर अपने परिवार यानी कि अपने बेटे-बेटियों के भरण-पोषण का दायित्व है।(Daughter in law not denied compassionate appointment)
याचिका में भी यह भी तर्क दिया गया कि ससुर को परिवार का सदस्य नहीं माना जा सकता। जस्टिस पी सैम कोशी ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के तर्कों को सही ठहराया है। कोर्ट ने माना है कि ससुर को परिवार का सदस्य मानकर अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने शासन के अनुकंपा नियुक्ति निरस्त करने के आदेश को खारिज कर दिया है। (Daughter in law not denied compassionate appointment)