नए साल से लघु वनोपज खरीदी का बहिष्कार : रवि गुप्ता

नए साल से लघु वनोपज खरीदी का बहिष्कार : रवि गुप्ता

34 वर्षो से नियमितीकरण की आश देख रहे लघुवनोपज प्रबंधक, 1 जनवरी से करेंगे लघु वनोपजो के संग्रहण का बहिष्कार

सरकार ने जनघोषणा पत्र में दिलाया था नियमितीकरण का भरोसा, निकला चुनावी जुमला

6 वर्षों से वेतन में एक रुपये की भी नही हुई वृद्धि,सेवा नियम लगाया, किंतु आज तक नही किया अमल

 

सुकमा. मंगलवार को जिला प्रबंधक संघ ने अपने दो सूत्रीय मांग नियमितीकरण एवं वेतनवृद्धि को लेकर डीएफओ को ज्ञापन सौंपा। मांग पूरी नही होने पर एक जनवरी से लघुवनोपजों के संग्रहण का बहिष्कार करने की चेतावनी दी।

ज्ञापन के माध्यम से मांग किया गया की सरकार एवं अधिकारियों द्वारा विगत 34 वर्षो से प्रबंधको का सिर्फ शोषण ही किया जा रहा है और छला जा रहा है परंतु नियमितिकरण नही किया जा रहा है। वहीं इसके अलावा पिछले 6 वर्षों से एक रूपये की वृद्धि नही की गई। पांच वर्षों से सेवा नियम बनाया गया परंतु अब तक लागू नही किया गया है। जब तक उक्त मांगों को पूरा नही किया जाएगा तब तक लघु वनोपजों की खरीदी नही की जाएगी।

जिला प्रबंधक संघ जिलाध्यक्ष रवि गुप्ता ने कहा की छत्तीसगढ़ लघुवनोपजो के संग्रहण में पूरे देश मे नंबर एक है। कोई भी राज्य हमारे आस-पाए भी नही है। जिसका सबसे बड़ा कारण लघुवनोपज संघ के 901 प्रबंधक हैं। जिनकी महेनत के कारण ही प्रदेश आज इन बुलंदियों पर पहुँच सका है। लघुवनोपजो के संग्रहण में प्रदेश सरकार को वर्ष 2020-21 में कुल 13 राष्ट्रीय अवार्ड भी मिले। फिर भी सरकार एवं अधिकारियों द्वारा विगत 34 वर्षो से प्रबंधको का सिर्फ शोषण ही किया जा रहा है और छला जा रहा है। जिसका साफ उदाहरण ये है कि जन घोषणा पत्र में प्रबंधको के नियमितीकरण का वादा किया वो अब तक सिर्फ चुनावी जुमला ही निकला, प्रबंधकों के वेतन में 6 वर्षो से एक भी रुपये की वृद्धि नही, 5 वर्ष पहले सेवा नियम बनाया गया, पर आज तक लागू नहीं, वेतन बढ़ाने राज्य संचालक मंडल ने प्रस्ताव बनाया उसे तक लागू नही किया गया। इसके चलते प्रदेश के समस्त प्रबंधकों ने 01 01 2022 से लघुवनोपजो के संग्रहण के बहिष्कार का निर्णय किया है। प्रबंधको द्वारा सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत पूर्व में 52 लघु वनोपजों का स्वसहायता समूहों के माध्यम से संग्रहण किया जा रहा था। इस वर्ष सरकार ने और तीन वनोपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। जिसमे कोदो 3000.00, कुटकी 3000.00 एवं रागी 3377.00 रुपये प्रति क्विंटल दर निर्धारित किया गया है। इन तीनो वनोपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना में शामिल करने से कृषकों एवं संग्राहकों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। किंतु प्रबंधको द्वारा वनोपज खरीदी के बहिष्कार से निश्चित तौर पर ख़रीदी पर सीधे असर दिखेगा।