रूस में मोदी का भव्य स्वागत पुतिन के घर हुआ दोनो नेताओ की मुलाकात पूरी दुनियां की नज़र इस यात्रा पर वो भी एक दौर था जब भारत पर आक्रमण की रसिया ने कर ली थी तैयारी जानें वो अनसुने दास्तां पढ़े पूरी ख़बर

रूस में मोदी का भव्य स्वागत पुतिन के घर हुआ दोनो नेताओ की मुलाकात पूरी दुनियां की नज़र इस यात्रा पर वो भी एक दौर था जब भारत पर आक्रमण की रसिया ने कर ली थी तैयारी जानें वो अनसुने दास्तां पढ़े पूरी ख़बर
रूस में मोदी का भव्य स्वागत पुतिन के घर हुआ दोनो नेताओ की मुलाकात पूरी दुनियां की नज़र इस यात्रा पर वो भी एक दौर था जब भारत पर आक्रमण की रसिया ने कर ली थी तैयारी जानें वो अनसुने दास्तां पढ़े पूरी ख़बर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को दो दिवसीय यात्रा पर रूस पहुंच चुके हैं। हवाई अड्डे पर रूसी संघ के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने उनका स्वागत किया। मोदी के स्वागत के माध्यम से रूस ने चीन को बड़ा संदेश दिया है।

दरअसल, हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी रूस की यात्रा की थी। शी जिनपिंग का भी स्वागत उप प्रधानमंत्री ने किया था, लेकिन मोदी की आगवानी करने वाले डेनिस मंटुरोव उनसे वरिष्ठ हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि रूस भारत के साथ अपने संबंधों को चीन से अधिक महत्व देता है।

भारतीय समुदाय से मिलेंगे मोदी

रूस में रह रहे भारतीय समुदाय के सदस्यों की मंगलवार को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात होगी तो वे देश में एक हिंदू मंदिर व भारतीय स्कूल की नई इमारत का निर्माण करने एवं रूस-भारत के बीच अधिक सीधी उड़ानों की उपलब्धता में उनसे सहयोग देने का अनुरोध करेंगे।

प्रवासी भारतीयों में जबरदस्त उत्साह

प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को होने वाले 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर दो दिवसीय रूस यात्रा पर हैं। रूस में प्रवासी भारतीय समुदाय के सदस्यों में प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा को लेकर जबरदस्त उत्साह है।

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 5 सालों से युद्ध जारी है. वहीं भारत और रूस के संबंध देखें जाएं तो वो फिलहाल काफी अच्छे हैं. पीएम मोदी और रशिया के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच काफी अच्छे रिश्ते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब रूस भारत पर आक्रमण करने की योजना बना रहा था . उस समय उसका उद्देश्य पूरा हो पाया या नहीं ? चलिए जानते हैं .

19वीं शताब्दी के दौरान, प्रमुख शक्तियों के बीच भू-राजनीतिक तनाव अक्सर महत्वाकांक्षी और दुस्साहसी योजनाओं को जन्म देते थे. ऐसी ही एक योजना रूस ने भी बनाई थी, जिसमें उसका ब्रिटिश शासित भारत पर कब्जा करने का इरादा था. ये योजना मुख्य रूप से रूस की अपना विस्तार करने और एशिया में ब्रिटिश प्रभुत्व का मुकाबला करने की इच्छा से बनाई थी. हालांकि ये योजना कभी पूरी नहीं हो पाई और रूस भारत पर आक्रमण नहीं कर पाया. हालांकि ये उस दौर की आपसी लड़ाईयों और रणनीतिक पैंतरेबाजी को बताती है.