कुछ घंटे बाद ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वर्चुअल मौजूद होकर सीपत की जनता को तहसील का देंगे तोहफा क्षेत्र के लोगो में भारी उत्साह पढ़े पूरी खबर

कुछ घंटे बाद ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वर्चुअल मौजूद होकर सीपत की जनता को तहसील का देंगे तोहफा क्षेत्र के लोगो में भारी उत्साह पढ़े पूरी खबर
कुछ घंटे बाद ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वर्चुअल मौजूद होकर सीपत की जनता को तहसील का देंगे तोहफा क्षेत्र के लोगो में भारी उत्साह पढ़े पूरी खबर

बिलासपुर— कुछ घंटे बाद ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वर्चुअल मौजूद होकर सीपत की जनता को तहसील का तोहफा देंगे। इसके साथ ही आम जनता की दूरियों की परेशानी पूरी तरह खत्म हो जाएगी। अब छोड़े बड़े काम के लिए जनता को 25 किलोमीटर दूर मस्तूरी का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा। 
 
            क्षेत्र के लोगो का सीपत को पूर्ण तहसील बनाने की बहुप्रतीक्षित मांगे आज पूरी होने जा रही है। प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल आज गुरुवार को दोपहर 12:40 बजे छत्तीसगढ़ में 24 नई तहसीलों का उद्घाटन करेंगे। इसमें बिलापुर से दो नई तहसील सीपत और बोदरी भी शामिल है।
   
              जानकारी देते चलें कि वर्तमान में सीपत मस्तूरी तहसील के अधीन आता है। सीपत को उपतहसील का दर्जा हासिल  है।  जैसे ही मुख्यमंत्री उद्घाटन करेंगे..सीपत तहसील बन जाएगा। तोहफा पाने के लिए सीपत क्षेत्र के लोगो मे जश्न का माहौल है।
 
सीपत तहसील में 40 पंचायत और 53 गांव शामिल
 
सीपत तहसील में राजस्व निरीक्षक मंडल की संख्या दो गोगी। खम्हरिया मंडल में 18 पंचायत,गांव 25 और सीपत राजस्व मंडल में 22 पंचायत, 28 गांव शामिल है। 2011 के जनगणना के आधार पर सीपत तहसील  की आबादाी 438787 है।
 
कटघोरा से मस्तूरी तक सीपत तहसील की सीमाएं
 
         सीपत तहसील की सीमाएं मस्तूरी से कटघोरा तक होगी। उत्तर में तहसील कटघोरा जिला कोरबा और दक्षिण में तहसील मस्तूरी रहेगा। सीपत को तहसील बनाने के लिए छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशन 6 नवंबर 2020 को किया गया था। प्रकाशन के साथ ही तहसील बनाने को लेकर किसी प्रकार की दावा-आपत्ति के लिए दो माह का समय निर्धारित किया गया था।
 
नई तहसील बनने से आम लोगों को राहत
 
        नई तहसील के अस्तित्व में आने से बिजली, पानी, सड़क समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी दूर होगी। साथ ही प्रशासन को आम आदमी के करीब पहुंचने में आसान होगी। नई तहसील के अस्तित्व में आने से किसानों को लंबी दूरी तय कर मस्तूरी पहुंचने की समस्या भी खत्म होगी। राजस्व प्रकरणों को जल्दी निपटाने में सहूलियत भी मिलेगी।