भारत: में भ्रष्टाचार चर्चा और आन्दोलनों का एक प्रमुख विषय रहा है। स्वतंत्रता के एक दशक बाद से ही भारत भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा नजर आने लगा.
In India, corruption has been a major topic of discussion and agitations. From a decade after independence, India was seen to be engulfed in the quagmire of corruption.




NBL, 30/03/2022, Lokeshwer Prasad Verma,.Raipur CG: भारत में भ्रष्टाचार चर्चा और आन्दोलनों का एक प्रमुख विषय रहा है। स्वतंत्रता के एक दशक बाद से ही भारत भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा नजर आने लगा था और उस समय संसद में इस बात पर बहस भी होती थी। 21 दिसम्बर 1963 को भारत में भ्रष्टाचार के खात्मे पर संसद में हुई, बहस में डॉ राममनोहर लोहिया ने जो भाषण दिया था वह आज भी प्रासंगिक है। उस वक्त डॉ लोहिया ने कहा था सिंहासन और व्यापार के बीच संबंध भारत में जितना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है उतना दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं हुआ है, पढ़े विस्तार से..।
भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था और प्रत्येक व्यक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। भारत में राजनीतिक एवं नौकरशाही का भ्रष्टाचार बहुत ही व्यापक है। इसके अलावा न्यायपालिका, मीडिया, सेना, पुलिस आदि में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है।
2005 में भारत में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल नामक एक संस्था द्वारा किये गये एक अध्ययन में पाया गया कि 62% से अधिक भारतवासियों को सरकारी कार्यालयों में अपना काम करवाने के लिये रिश्वत या ऊँचे दर्ज़े के प्रभाव का प्रयोग करना पड़ा। वर्ष 2008 में पेश की गयी इसी संस्था की रिपोर्ट ने बताया है कि भारत में लगभग 20 करोड़ की रिश्वत अलग-अलग लोकसेवकों को (जिसमें न्यायिक सेवा के लोग भी शामिल हैं) दी जाती है। उन्हीं का यह निष्कर्ष है कि भारत में पुलिस कर एकत्र करने वाले विभागों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है। आज यह कटु सत्य है कि किसी भी शहर के नगर निगम में रिश्वत दिये बगैर कोई मकान बनाने की अनुमति नहीं मिलती। इसी प्रकार सामान्य व्यक्ति भी यह मानकर चलता है कि किसी भी सरकारी महकमे में पैसा दिये बगैर गाड़ी नहीं चलती।
......भारत के प्रमुख आर्थिक घोटाले. ..
बोफोर्स घोटाला - 64 करोड़ रुपये
यूरिया घोटाला - 133 करोड़ रुपये
चारा घोटाला - 950 करोड़ रुपये
शेयर बाजार घोटाला - 4000 करोड़ रुपये
सत्यम घोटाला - 7000 करोड़ रुपये
स्टैंप पेपर घोटाला - 43 हजार करोड़ रुपये
कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला - 70 हजार करोड़ रुपये
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला - 1 लाख 67 हजार करोड़ रुपये
अनाज घोटाला - 2 लाख करोड़ रुपए (अनुमानित)
कोयला खदान आवंटन घोटाला - 12 लाख करोड़ रुपये
आज जब केन्द्र सरकार भ्रष्टाचारियो के ऊपर नकेल कसने के लिए एक कड़ी कदम उठा रही है तो राज्य के कुछ राजनीतिक नेताओ द्वारा विरोध किया जा रहा है और इसे राजनितिक द्वेश की संज्ञा दी जा रही है, और केन्द्र की जाँच एजेनसियो की केन्द्र सरकार दुरूपयोग कर रही है एसा आरोप लगा रहे हैं। लेकिन यह आरोप बेबुनियाद है।
जो गलत किया होगा उनके परिणाम स्वरूप सामने आ ही जाएगी तो आप राजनितिक नेता लोग इन भ्रष्टाचारियो को बचाने में क्यो लगे हुए हैं। इसका मतलब आप जानती हो की गलत हुआ है और मेरी राजनीतिक भविष्य खतरे में है, आने वाले समय में। देश को दिख जाएगी इन भ्रष्टाचारियो की करतूत कैसे देश को लुटा है करके।