Dhamtari CG: धान की दोनों फसल लेकर जमींन की उर्वरक शक्ति कम हो गई है इसलिए फसल चक्र है जरूरी.

Dhamtari CG: By taking both the crops of paddy, the fertilizer power of the land has reduced, so crop rotation is necessary.

Dhamtari CG: धान की दोनों फसल लेकर जमींन की उर्वरक शक्ति कम हो गई है इसलिए फसल चक्र है जरूरी.
Dhamtari CG: धान की दोनों फसल लेकर जमींन की उर्वरक शक्ति कम हो गई है इसलिए फसल चक्र है जरूरी.

NBL, 03/04/2022, Lokeshwer Prasad Verma,.. Dhamtari CG: By taking both the crops of paddy, the fertilizer power of the land has reduced, so crop rotation is necessary. धमतरी news: धमतरी जिले में इन दिनों रबी फसल के रूप में बोई व रोपी गई धान की फसल तेजी से तैयार हो रही है। शासन की विभिन्ना योजनाओं और धान की अच्छी पैदावार के चलते जिले के किसान धान की जगह अन्य फसलों को उत्पादित करने में रुचि नहीं दिखा रहे, पढ़े विस्तार से...। 

इस साल भी सिंचाई सुविधा के सहारे जिले के किसानों ने बड़े पैमाने पर धान की रोपाई की है। कृषि विभाग से मिली जानकारी अनुसार धमतरी जिले में 60 हजार हेक्टेयर में धान की खेती हो रही है।

धमतरी जिले में रबी वर्ष 2021-22 में धान के बदले दलहन तिलहन, गेहूं एवं ग्रीष्मकालीन मक्का, मूंग उड़द की खेती के लिए जिले के किसानों को लगातार कृषि विभाग द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके बाद भी किसान धान की खेती करना पसंद कर रहे हैं।

कृषि उप संचालक मोनेश साहू ने बताया कि खरीफ सीजन की धान फसल के खेतों में अवशेष नरई में तनाछेदक के अणंडे एवं मिट्टी में ब्लास्ट रोग के बीजाणु उपस्थित रहते हैं जो कि रबी सीजन में धान की फसल की पुनः खेती लेने पर नई फसल को नैसर्गिक तौर पर मिलते हैं।

उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति से निबटने के लिए किसानों को धान की जगह फसल चक्र परिवर्तन अपनाते हुए दलहन, तिलहन, गेहूं, उड़द, मूंग आदि फसलों की खेती किए जाने के संबंध में विभाग द्वारा मैदानी स्तर के कर्मचारी नियमित रूप से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

तनाछेदक से बचाव के लिए करें दवा का छिड़काव

रबी सीजन में धान की खेती करने वाले किसानों को मौसम में आ रहे बदलाव के कारण तनाछेदक कीट प्रकोप एवं ब्लास्ट की समस्या आ रही है। तनाछेदक कीट की रोकथाम के लिए बाइफ्रेनथ्रिन 10 सी.ई. का 350 मिलीलीटर प्रति एकड़ या क्लोरेनट्रनिलिप्रोल का 60 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे किया जा सकता है।

इसी प्रकार ब्लास्ट के लिए प्रोपिकोनाजोल का 250 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करने से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने विभाग की ओर से पुनः अपील करते हुए कहा है कि आगामी समय में ग्रीष्मकालीन धान की बोनी के बजाय दलहन-तिलहन की फसल अपनाएं तथा जल संरक्षण में अपना अमूल्य योगदान दें।