ह्यूमन नेशनल न्युज : चिंता क्या है? चिंता करने का मुख्य कारण क्या है? इसे पढ़े जरूर.

Human National News: What's the concern? What is the main reason to worry? Do read it.

ह्यूमन नेशनल न्युज : चिंता क्या है? चिंता करने का मुख्य कारण क्या है? इसे पढ़े जरूर.
ह्यूमन नेशनल न्युज : चिंता क्या है? चिंता करने का मुख्य कारण क्या है? इसे पढ़े जरूर.

NBL,. 31/03/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. Raipur CG: वास्तव में चिंता करने का क्या मतलब है? चिंता क्या है? आइए, कुछ विचारों को ध्यान में रखते हुए उसी का पता लगाते हैं। हम अपने रोज के जीवन में अनेक परिस्थितियों का सामना करते है और अपने बारे में सोचते है, पढ़े विस्तार से...। 

जैसे...

‘मेरे पास अपने परिवार का निर्वाह करने के लिए पर्याप्त नहीं है |’

‘मेरी बेटी की शादी नहीं हो रही हैं?'

‘मेरे बेटे का क्या होगा?’

‘अगर यह काम समय पर नहीं होगा,तो क्या होगा?’

‘क्या मैं अपनी परीक्षा में पास हो जाऊंगा?’

‘मेरे दोस्त मेरे बारे में क्या सोचेंगे?’

‘मैं लंबे समय से बीमार हूँ; मेरे साथ क्या होगा?’

‘मेरी पढ़ाई पूरी होने के बाद, क्या मुझे नौकरी मिलेगी?’

‘मैंने अपनी सारी सम्पत्ति खो दी हैं, अब मैं कैसे जिऊंगा?’

‘अगर मैं मर गया तो; मेरे परिवार का क्या होगा?’

महीने का अंत बिलकुल करीब है, मैं सारे बिल कैसे चुकाऊंगा? एसा कई तरह की चिंता के कारण ही हम इंसान व्यथित हो जाते हैं, और यही चिंता हमे अंदर से खोखले कर देते हैं, जैसे दीमक धीरे धीरे कुतरते है किसी भी वस्तु को वैसे ही ये चिंता हमे अंदर से कमजोर बनाते हैं।

उपरोक्त परिस्थितियों के आने पर हम क्या करते हैं? हम व्यथित हो जाते हैं, और परिस्थितियों को संभालने में असमर्थ हो जाते हैं | जब कोई विचार, एक निश्चित स्तर से आगे बढ़ जाता हैं, तो उसे चिंता कहते हैं| यह चिंता का सही अर्थ हैं | विचार एक निश्चित स्तर तक किये जाने चाहिए, उसकी सीमा से अधिक नहीं करने चाहिए | जब तक विचार आपको परेशान ना करता हो तो वह सामान्य हैं |एक बार जब विचार निश्चित स्तर से उपर जाकर आपको हैरान या परेशान करने लगे, तो यह चिंता का विषय है | और यह चिंता की एक सामान्य परिभाषा है|

इस तरह ही आपका दिमाग एक साधारण विचार से चिंता और अत्यधिक सोच में चला जाता हैं:

जब हम किसी भी परिस्थिति का सामना करते है, तब हमारा मन शुरू में उसके फायदे और नुकशान के बारे में सोचता है|

कुछ समय बाद विचार (मन) बदल जाता हैं, और दुःख उत्पन्न होता हैं |

जब यह बदला हुआ सोच या विचार, लगातार जारी रहता हैं, तो घुटन होने लगती हैं |

विचार अगर ऐसे ही परेशान करते रहें,तो चिंताएँ पैदा होंगी|

चिंता सारी सच्ची समझ और ज्ञान को अँधा बनाकर तोड़ देती है | आप सावधान रह सकते हैं, लेकिन चिंतित नहीं | सावधान रहना और चिंता करने में बहुत फर्क है| सावधान रहना मतलब जागृत होना और चिंता मतलब विचारो को गहराई से सोचते रहना, जो आपको भीतर से खा जाती हैं |

तो, सरल शब्दों में चिंता का क्या मतलब है? चिंता मतलब लगातार विचार करते रहना की ‘अब मैं क्या करू?’ या, ’अब क्या होगा?’ और चिंता करने से काम में रूकावट आती हैं, सब काम देर से होते हैं |

, “जब आप चिंता करना शुरू करते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि , हाथ में लिया हुआ काम बर्बाद हो जाएगा, और अगर आपको चिंता नहीं है, तो आप निश्चिन्त रहे की आपका काम अच्छा होने वाला है | चिंता किसी भी काम में बाधक है |”

वास्तव में, यह दुनिया ऐसी है कि किसी भी व्यक्ति को किसी भी चीज़ के बारे में चिंता करने की जरूरत ही नहीं है | कुदरत सभी जरूरतों को पूरा करती है| नहाने के लिए पानी, सोने के लिए गद्दा और अन्य सभी आवश्यक चीज़े मिल जाती है बिना उसकी चिंता या विचार किए| यदि कोई प्राकृतिक या सहज रहता है तो, सभी जरूरते पूरी होती ही है।

तनाव और चिंता में क्या अंतर है?

चिंता का अर्थ समझने का दूसरा तरीका यह है की किसी भी परिस्थिति या समस्या को सर्वस्व समझ के चलना| यदि आपकी पत्नी बीमार है, वह आपके जीवन में सब कुछ है, आपकी सारी संपत्ति से बढ़कर है, तो पत्नी कि बीमारी चिंता अपना स्थान जमा लेगी| लेकिन अगर यदि दूसरी ओर पैसा उसके लिए सब कुछ होता और उसकी पत्नी बीमार होती तो वह तनाव का अनुभव करता, उसे चिंता नही होती |

तनाव चिंता के समान है | लेकिन चिंता जैसा नहीं है । तनाव में विचारो की संख्या बढ़ जाती है जबकि चिंता में आप लगातार एक मुद्दे पर विचार करते रहते हो, यह सोचकर की यह ही सब कुछ है | उदाहरण के लिए, ‘अगर यह नौकरी नहीं रही तो क्या होगा? मेरी पत्नी बीमार है, उसका क्या होगा? बच्चे स्कूल नहीं जा रहे, उनका क्या होगा?' तनाव एक ही समय पर सभी तरफ से खिंचतान है |