हाई कोर्ट सीजी: 'मेरी पत्नी ने जींस-टॉप पहनती है', बच्चे की कस्टडी पर पति ने दिया अजीब तर्क; हाईकोर्ट ने दिया ये जवाब.. पढ़े जरूर.
High Court CG: 'My wife wears jeans-top', husband gives..




NBL, 07/04/2022, Lokeshwer Prasad Verma,. High Court CG: 'My wife wears jeans-top', husband gives strange argument on child custody; High Court gave this answer.
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने बच्चे की कस्टडी (Child Custody) को लेकर पति के तर्क पर खरी-खरी सुनाई. शख्स ने कोर्ट में कहा था कि बच्चे की मां बाहर नौकरी करती है, पढ़े विस्तार से..
जींस और टी-शर्ट पहनती है. ऐसे में बच्चे पर गलत असर पड़ सकता है. इस पर कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया.
बिलासपुर: बच्चे की कस्टडी को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने ऐतिहासिक फैसला दिया है. अदालत ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें पिता को बच्चे की कस्टडी (Child Custody) दी गई थी. हाई कोर्ट ने कहा कि कोई महिला अगर अपने पति की इच्छा के अनुसार नहीं ढलती तो उसे बच्चे की कस्टडी से वंचित नहीं रखा जा सकता है.
कैरेक्टर सर्टिफिकेट की नहीं जरूरत..
'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की खंडपीठ ने 14 वर्षीय लड़के की कस्टडी से संबंधित मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि समाज के कुछ लोगों को 'शुतुरमुर्ग मानसिकता' के साथ महिला को चरित्र प्रमाण पत्र (Woman Character Certificate) देने की अनुमति नहीं होनी चाहिए.
2013 में हुआ था तलाक..
बता दें कि दोनों की 2007 में शादी हुई थी और उसी साल दिसंबर में उनके बेटे का जन्म हुआ था. 2013 में आपसी सहमति से उनका तलाक हो गया, जिसके बाद बच्चे की कस्टडी महासमुंद जिले (Mahasamund District) की रहने वाली, उसकी मां को दे दी गई. 2014 में रायपुर (Raipur) के रहने वाले पति ने महासमुंद डिस्ट्रिक्ट फैमिली कोर्ट में आवेदन दायर कर बच्चे की कस्टडी की मांग की. याचिका में कहा गया कि महिला एक कंपनी में पुरुषों के साथ काम करती है. वह अन्य पुरुषों के साथ यात्रा करती है. उसका पहनावा और चरित्र भी अच्छा नहीं है. ऐसे मे बच्चे की दिमाग पर गलत असर पड़ेगा.
फैमिली कोर्ट ने पिता को दी थी कस्टडी..
इसके बाद फैमिली कोर्ट ने 2016 में बच्चे की कस्टडी पिता को सौंप दी थी. इसके बाद महिला ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि पिता की ओर से दिए गए सबूतों से ऐसा लगता है कि गवाहों ने अपनी राय और सोच के मुताबिक बयान दिया है. कोई महिला आजीविका के लिए नौकरी करती है तो उसे यात्रा करनी पड़ेगी. इससे कोई महिला के चरित्र का अंदाजा कैसे लगा सकता है.
रेड लाइन निर्धारित करने की जरूरत..
कोर्ट ने कहा कि बयान दिया जाता है कि महिला शराब और धूम्रपान की आदी है. जब महिला के चरित्र की हत्या की जाती है तो एक रेड लाइन निर्धारित करने की जरूरत है. गवाहों के बयान से पता चलता है कि वे महिलाओं की पोशाक से काफी हद तक प्रभावित होते हैं, क्योंकि वह जींस और टी-शर्ट पहनती हैं. इस तरह की चीजों को बढ़ावा दिया गया तो महिलाओं के अधिकार और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक लंबी कठिन लड़ाई होगी।