CG BEMETARA:प्रदेश में पहली बार जिरेनियम की खेती सौ एकड़ में करेंगे...बेमेतरा जिले के नवागढ़ मुख्यालय के युवा किसान किशोर राजपूत...खेती किसानी के कार्यों को यदि किसान व्यवसायिक नजरिये से करेगा तो इससे अच्छा लाभ कमाया जा सकता है

CG BEMETARA:प्रदेश में पहली बार जिरेनियम की खेती सौ एकड़ में करेंगे...बेमेतरा जिले के नवागढ़ मुख्यालय के युवा किसान किशोर राजपूत...खेती किसानी के कार्यों को यदि किसान व्यवसायिक नजरिये से करेगा तो इससे अच्छा लाभ कमाया जा सकता है
CG BEMETARA:प्रदेश में पहली बार जिरेनियम की खेती सौ एकड़ में करेंगे...बेमेतरा जिले के नवागढ़ मुख्यालय के युवा किसान किशोर राजपूत...खेती किसानी के कार्यों को यदि किसान व्यवसायिक नजरिये से करेगा तो इससे अच्छा लाभ कमाया जा सकता है

संजू जैन:7000885784
बेमेतरा:छत्तीसगढ़ में अधिकांश किसान परंपरागत फसलों की खेती करते आ रहे हैं जिससे उन्हेें सीमित मात्रा में ही लाभ मिल रहा है। यदि किसान परंपरागत फसलों के साथ ही औषधीय फसलों या सुगंधित फूलों की खेती करे तो उससे भी अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। आज हम बात कर रहे है एक ऐसे फूल की जिसकी खेती करके किसान मालामाल हो सकते हैं। इस फूल का नाम है जिरेनियम। जी हां, छत्तीसगढ़ राज्य में पहली बार बेमेतरा जिले के युवा प्रगतिशील किसान किशोर राजपूत सौ एकड़ जमीन लीज पर लेकर इसकी खेती करेंगे।

*आइए जाने क्या है जिरेनियम का पौधा*
जिरेनियम एक प्रकार का सुगंधित पौधा है। जिरेनियम के फूलों से तेल निकाला जाता है जो औषधीय के साथ साथ कई काम आता है। जिरेनियम के तेल में गुलाब जैसी खुशबू आती है। इसका उपयोग एरोमाथेरेपी, सौंदर्य प्रसाधन, इत्र और सुगंधित साबुन बनाने में किया जाता है

जिरेनियम पौधे के औषधीय लाभ इस तरह हैं

जिरेनियम तेल का इस्तेमाल औषधी के रूप में भी किया जाता है। इसके तेल का इस्तेमाल करने से अल्जाइमर,तंत्रिका विकृति के विकारों की समस्या को कम करता है। इसके साथ ही मुंहासों, सूजन और एक्जिमा जैसी स्थिति में भी इसका इस्तेमाल लाभकारी बताया जाता है। यह बढ़ती उम्र के प्रभाव को भी कम करता है। इसके साथ ही मांसपेशिया और त्वचा, बाल और दांतों को होने वाले नुकसान में भी इसका प्रयोग गुणकारी माना गया है।

जिरेनियम की खेती करने से क्या होगा लाभ*

किशोर राजपूत ने बताया कि जिरेनियम की मांग प्रतिवर्ष 120-130 टन है और भारत में इसका उत्पादन सिर्फ 1-2 टन होता है। इसलिए मांग को देखते हुए जिरेनियम की खेती उत्तर भारत में की जा सकती है। इससे किसानों की आय भी दुगुनी हो सकती है। जिरेनियम की खेती के लिए सरकार सब्सिडी भी दी रही है।

कम पानी वाली जगह पर भी की जा सकती है जिरेनियम की खेती

जिरेनियम कम पानी वाली फसल है, इसे उगाने को लिए बेहद कम पानी चाहिए होता है। इसकी खेती ऐसे जगह पर की जा सकती है जहां बारिश कम होती हो। ऐसे क्षेत्र जहां पर बारिश 100 से 150 सेंटीमीटर तक होती है वहां पर इसकी खेती की जा सकती है। 

जिरेनियम की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी*

इसकी खेती के लिए हर तरह की जलवायु अच्छी मानी जाती है। लेकिन कम नमी वाली हल्की जलवायु इसकी अच्छी पैदावार के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। जिरेनियम की खेती उस क्षेत्र में की जानी चाहिए वार्षिक जलवायु 100 से 150 सेंटीमीटर हो। वहीं बात करें मिट्टी की तो इसकी खेती के लिए बलुई दोमट और शुष्क मिट्टी अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का पीएचमान 5.5 से 7.5 होना चाहिए। 

जिरेनियम की खेती के लिए खेत की तैयारी

बक्खर के माध्यम से खेत की दो तीन जुताई करने के बाद रोटावेटर से मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। इसके बाद खेत को पाटा लगाकर समतल कर लेना चाहिए। इसके अलावा खेत में पानी की निकासी के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए। बता दें कि ये लंबे समय की खेती है। इसमें किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसकी पौध सही ढंग से तैयार करें ताकि उसे कोई नुकसान की संभावना नहीं रहे।

कैसे करें जिरेनियम के पौधे की रोपाई*

अब 45 से 60 दिनों के बाद तैयार खेत में 50 से.मी.-50 से.मी. की दूरी पर पौधे की रोपाई करनी चाहिए। पौधे को रोपित करने से पहले उसे थीरम या बाविस्टिन से उपचारित कर लेना चाहिए ताकि पौधे को फफूंदी संबंधी बीमारियों से नुकसान नहीं हो। 

जिरेनियम की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक

जिरेनियम के अच्छे विकास के लिए प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल गोबर खाद की डालना चाहिए। इसके अलावा नाइट्रोजन 150 किलोग्राम, फास्फोरस 60 किलोग्राम और पोटाश 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए। खेत की अंतिम जुताई के समय फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा दे देनी चाहिए। जबकि नाइट्रोजन को 30 किलो के अनुपात में 15 से 20 दिनों के अंतराल में देना चाहिए।

*जिरेनियम के लिए सिंचाई व्यवस्था*

जिरेनियम केे पौधे की पहली सिंचाई पौधों की रोपाई के बाद करना चाहिए। इसके बाद मौसम और मिट्टी की प्रकृति के अनुसार 5 से 6 दिन के अंतर पर सिंचाई करना चाहिए। ध्यान रहे जिरेनियम कम पानी वाली फसल है इसलिए इसकी आवश्यकता से अधिक सिंचाई नहीं करनी चाहिए। ऐसा होने पर इसके पौधे में पौधे में जड़ गलन रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। 

*कब करें जिरेनियम की पत्तियों की कटाई*

जब पौधे में पत्तियां परिपक्व अवस्था में हो जाए तब इसकी कटाई की जानी चाहिए। वैसे तीन से चार महीने बाद ही पौधे की पत्तियां परिक्व अवस्था मेें आ जाती है। जब पत्तियां परिपक्व हो जाए तो इसके बाद पत्तियों की पहली कटाई करना चाहिए। बता दें कि कटाई के समय पत्तियां पीली या अधिक रस वाली नहीं होना चाहिए।

*जिरेनियम की खेती पर खर्च और प्राप्त आय*

जिरेनियम की फसल में प्रति एकड़ लगभग एक लाख रुपए का खर्च आता है। जिसमे ड्रिप इरिगेशन सिस्टम 30 हजार, प्लांट मटेरियल 50 हजार रुपए, खाद 10 हजार, लेवर चार्ज और खेत की तैयारी 10 हजार वहीं इससे आय लगभग 4 लाख रुपए हो सकती है। इस तरह जिरेनियम की खेती करके एक एकड़ से 3 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा कमाया जा सकता है।  

*जिरेनियम के तेल की कीमत*

जिरेनियम की खेती ज्यादातर विदेश में होती है और जिरेनियम के पौधे से निकलता है जो तेल काफी महंगा होता है। भारत में इसकी कीमत प्रति लीटर करीब 10 हजार से लेकर 12 हजार रुपए तक होती है।