ढाका: मशहूर बांग्लादेशी लेखिका तसलीम नसरीन ने हिजाब विवाद पर अपनी राय रखी है, शिक्षा से बड़ी धर्म नही?..




NBL,. 18/02/2022, Lokeshwer Prasad Verma,.. ढाका, 17 फरवरी। अपने बेबाक बयानों और बिंदास लेखनी की वजह से इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर रहने वाली मशहूर बांग्लादेशी लेखिका तसलीम नसरीन ने हिजाब विवाद पर अपनी राय रखी है। पढ़े विस्तार से..।
इंडिया टूडे से बात करते हुए तसलीम ने कहा कि 'हिजाब, बुर्का या नकाब उत्पीड़न के प्रतीक हैं, जो महिलाओं पर एक जुल्म की तरह है।'
तसलीम नसरीन की ये टिप्पणी कर्नाटक हिजाब विवाद पर आई है। आपको बता दें कि शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर कर्नाटक उच्च न्यायालय सुनवाई कर रहा है। कर्नाटक में इसे लेकर पिछले दिनों हिंसा भी देखने को मिली थी।
स्कूलों और कॉलेजों में समान ड्रेस कोड के प्रस्ताव के बारे में बात करते हुए, तसलीमा नसरीन ने कहा कि राजनीतिक इस्लाम की तरह अब 'हिजाब' पर भी सियासत हो रही है लेकिन मेरा मानना है कि 'धर्म का अधिकार' 'शिक्षा के अधिकार' से ऊपर नहीं है।
उन्होंने कहा कि "कुछ मुसलमान सोचते हैं कि हिजाब जरूरी है और कुछ सोचते हैं कि हिजाब जरूरी नहीं है। लेकिन, हिजाब को 7वीं शताब्दी में किसी misogynist पेश किया गया था क्योंकि उस समय महिलाओं को sex objects के रूप में देखा जाता था। उनका मानना था कि अगर पुरुष महिलाओं को देखेंगे तो पुरुषों में यौन इच्छा होगी। इसलिए महिलाओं को हिजाब या बुर्का पहनना पड़ता है। उन्हें खुद को पुरुषों से छिपाना पड़ता था लेकिन आज हालात बदल गए हैं।"
नसरीन ने हिजाब को 'अंधकार युग का पट्टा करार' दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा धर्म से अधिक महत्वपूर्ण है, यह कहते हुए कि एक धर्मनिरपेक्ष समाज में, हमारे पास एक धर्मनिरपेक्ष ड्रेस कोड होना चाहिए।
समान ड्रेस कोड होना बहुत जरूरी. .किसी व्यक्ति की पहचान उसके काम से होनी चाहिए ना कि धर्म से इसलिए समान नागरिक संहिता और समान ड्रेस कोड होना बहुत जरूरी है।
क्या है हिजाब विवाद?... दरअसल ये मामला कर्नाटक से शुरू तब हुआ , जब यहां के उडुपी के महाविद्यालय में 6 लड़कियां पिछले साल दिसंबर में हिजाब पहनकर क्लास में पहुंचीं थीं, जिनसे कहा गया था कि उन्हें स्कूल में हिजाब पहने की जरूरत नहीं है, जिस पर लड़कियों ने विरोध करना शुरू कर दिया था,उन्होंने कहा था कि ये उनसे धर्म से जुड़ा हुआ है इसलिए नहीं उतार सकते हैं। इसके जवाब में महाविद्यालय में कुछ लोग भगवा गमछा पहनकर पहुंचे और फिर इस मसले पर विवाद बढ़ गया। धीरे-धीरे यह विवाद राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया और यही नहीं इसके बाद एक मुस्कान नाम की छात्रा को भी स्कूल के अंदर हिजाब पहनकर जाने से रोका गया था। जब उसने मना किया था तो कुछ शरारती तत्वों ने उसके सामने 'जय श्री राम' के नारे लगाए थे, जिसके जवाब में मु्स्कान ने भी 'अल्लाह हो अकबर' कहा था। इस मामले पर बवाल मच गया और राज्य में हिंसा भी हुई और ये मामला कोर्ट में है।